द हाॅन्टिंग मर्डर्स : पार्ट - 5
"मैंने कोई कांड वांड नहीं किया, इसलिए इस तरह तो मत ही देख तू मेरी तरफ, वह तो बस एक कंफ्यूजन है पक्का नहीं पता...." - तृषा मोहित को खुद की तरफ कैसे देखते हुए पा कर बोली
"अब सीधा सीधा बोलेगी कि क्या हुआ है या फिर इसी तरह बात को गोल गोल घुमाती रहेगी।" - मोहित ने फिर से पूछा
"यार मोहित! बात नहीं घुमा रही, वह तो मेरा ब्रेसलेट कहीं मिल नहीं रहा, पता नहीं कहां गुम हो गया?" - इस बार तृषा ने सीधा-सीधा जवाब दिया
"अब ब्रेसलेट नहीं मिल रहा तो इस में मैं क्या करूं, और वैसे कौन सा ब्रेसलेट?" - मोहित ने पहले तो लापरवाही से कहा लेकिन फिर शक भरी निगाहों से तृषा की तरफ देखते हुए पूछा
"यार वही ब्रेसलेट जो मैं हमेशा पहन कर रखती थी, वैसे तो अच्छा ही हुआ कि मेरा वह ब्रेसलेट गिर गया लेकिन कब और कहां गिरा ये मुझे भी याद नहीं आ रहा, शायद... उस मकान में... भी हो सकता है जहां हम कल रात गए थे?" - तृषा नज़रें नीची कर के कॉफी का एक सिप लेती हुई बोली
"यार तृषा क्या करती है तू? हाउ इरिस्पांसिबल यू आर! और ऊपर से पक्का भी नहीं पता तुझे, नहीं तो चलते आज रात ढूंढने वैसे एक बात बता, तूने यह क्यों बोला कि अच्छा हुआ गिर गया?" - मोहित तृषा पर गुस्सा होते हुए उसे डांट रहा था लेकिन फिर कुछ सोचते हुए बोला
"वह... वह बस ऐसे ही बोर हो गई थी उस से" - तृषा जबरदस्ती स्माइल करती हुई बोली
"बोर हो गई थी तो यह कोई तरीका होता है क्या? प्राइम लोकेशन पर अपना सामान छोड़ आओ!" - मोहित अब थोड़ा खीजता हुआ सा बोला
"अरे यार! मुझे क्या पता था, कब कहां गिर जाएगा, नहीं तो पहन कर ही ना रखती मैं?" - तृषा मासूम सा चेहरा बनाती हुई बोली
"हम्म् और पोस्टमार्टम रिपोर्ट वाली बात उस में क्या इंपॉर्टेंट है?" - मोहित ने कुछ सोचते हुए एक और सवाल किया
"अब सब मैं ही पता लगाऊं क्या? थोड़ा काम तू भी कर ले मिस्टर जासूस! बहुत ज्यादा शौक लगा है ना तुझे, डिटेक्टिव बनने का तो बस अपना दिमाग लगा और एक कॉपी हासिल कर पोस्टमार्टम ऑटोप्सी रिपोर्ट की!" - तृषा एक तरह से मोहित को चैलेंज करती हुई बोली
"हां, वह कर लूंगा मैं, वह बड़ी टेंशन नहीं है लेकिन मैं सोच रहा हूं कि पहले तेरा फैलाया हुआ रायता समेटते हैं।" - मोहित तृषा के हाथ से उस का कॉफी मग ले कर उस में से कॉफी पीते हुए बोला
"यार मोहित! मेरी कॉफी है, उस वक्त नहीं बोल सकता था क्या तेरे लिए भी बना देती..." - तृषा उस के ऐसा करने पर चिढ़ती हुई सी बोली
"नहीं, मुझे मज़ा आता है ऐसा करने में, तेरा यह रोतला सा चेहरा देख कर।" - मोहित हंसते हुए तृषा के चेहरे की तरफ देख कर बोला तो तृषा ने मुंह बना लिया
"अच्छा, तो फिर अभी चलना है क्या?" - तृषा ने थोड़ी देर के बाद पूछा
"अरे नहीं, अभी मुझे और भी काम है और दिन में वहां जाना वैसे भी सेफ नहीं होगा किसी ना किसी की नज़रों में तो आ ही जाएंगे।" - मोहित मना करते हुए बोला
"तो मतलब है आज फिर रात को ही जाना होगा..." - तृषा कल रात का सोच कर थोड़ा डरे हुए चेहरे के साथ बोली
"तुझे डर लग रहा है तो रहने दे तू, मैं अकेला ही चला जाऊंगा।" - मोहित अंगड़ाई लेते हुए तृषा की तरफ देख कर बोलो
"मुझे कोई डर वर नहीं लगता, तू कॉल कर लेना मुझे रात में; जब भी चलना हो।" - तृषा एकदम नॉर्मल होती हुई बोली
"ओके, कर दूंगा कॉल!" - मोहित उस की बात सुनकर बोलना
"ओके, फिर मैं भी निकलती हूं, मुझे भी आज थोड़ा काम है दिन में..." - बोलती हुई तृषा अपना बैग उठा कर वहां से जाने लगी और मोहित बिना उसे बाय बोले वापस कमरे में आ कर कुछ सोचने लगा और फिर थोड़ी देर बाद उस ने किसी का नंबर डायल किया लेकिन दूसरी तरफ से किसी ने भी फोन नहीं उठाया तो उस ने फोन बेड पर रख दिया और वही मेज पर पड़े कुछ पन्ने अलट पलट कर देखने लगा।
"एक साथ तीन मर्डर और लाशें उसी घर के अंदर या बाहर मिली हैं मतलब सॉलिड कनेक्शन है उस घर से तो..." - मोहित सारे पहलुओं पर गौर करता हुआ बोला
"हम कुछ मदद करें क्या?" - बेड पर बैठे मोहित के हाथ से एक पेपर ले कर बेड पर उस के पीछे लेटता हुआ मोहित का फ्लैटमेट/फ्रेंड सुमित उस से बोला
"दरवाजा खुला ही था क्या?" - सुमित को ऐसे अचानक अपने पीछे आ कर लेटते हुए देख मोहित ने उस से पूछा
"मेरे पास भी फ्लैट की चाबियाँ होती है, रिमेंबर मिस्टर इंडियन शरलॉक होम्स!" - सुमित उठ कर बैठता हुआ मोहित से बोला
"हां, वह तृषा अभी थोड़ी देर पहले ही गई ना, तो मुझे लगा शायद डोर खुला ही रह गया होगा और मुझे बिल्कुल भी आहट नहीं लगी तेरे आने की इसलिए पूछा..." - मोहित सुमित के हाथ से वह पेपर वापस ले कर समेटकर एक फाइल में रखता हुआ बोला
"इतने ज्यादा बिजी रहोगे ऐसे मुर्दों में, तो क्या ही पता चलेगा तुम्हें किसी जिंदा इंसान के आने और जाने का?" - सुमित तंजिया लहज़े में मोहित के सवाल का जवाब देता हुआ बोला
"क्या यार सुमित! यह भी तो एक प्रोफेशन है, जॉब है और साथ में मेरा पैशन भी; लेकिन फिर भी पता नहीं क्यों सारे लोग इस तरह से क्यों रियेक्ट करते हैं जैसे कि मैं कोई गलत काम कर रहा हूं या फिर कोई फालतू का काम।" - मोहित थोड़ा चिढ़ता हुआ सा बोला
"इतना भी ज्यादा नहीं डूब जाना चाहिए यार, किसी भी काम में कि खुद का और बाकी किसी का होश ना रहे, वैसे नज़र घुमाकर अपने कमरे की हालत देख यार एक बार, क्या बना रखा है यह तूने?" - सुमित मोहित को एहसास दिलाता हुआ बोला लेकिन मोहित ने उस की बात को गंभीरता से नहीं लिया और अपना सामान अपने बैग में रख कर कहीं जाने की तैयारी करने लगा।
"वह सब मैं कर लूंगा बाद में, अभी कहीं जाना है।" - बोलते हुए मोहित अपना मोबाइल फोन वही बेड पर छोड़ कर कमरे से बाहर निकला ही था कि उस का फोन रिंग हुआ और सुमित उस का फोन ले कर उस के पीछे कमरे से बाहर आया।
"तेरी ये मोबाइल भूलने की आदत भी यार! देख किस का कॉल है शायद इंपॉर्टेंट हो?" - बोलते हुए सुमित ने मोहित को उस का मोबाइल पकड़ाया और अपने कमरे में चला गया।
मोहित ने कॉल रिसीव की और बात करते-करते अपने फ्लैट से बाहर आ गया।
"चलो यह काम तो हो गया.... पोस्टमार्टम रिपोर्ट की एक कॉपी तो मिल जाएगी शाम तक लेकिन जब तक मैं तीनों मरने वालों की पर्सनल लाइफ में ताक झांक कर आता हूं थोड़ा।" - मोहित ने कॉल डिस्कनेक्ट कर के मोबाइल फोन अपनी जींस की जेब में रखते हुए कहा और अपने फ्लैट की लिफ्ट से ग्राउंड फ्लोर पर आ गया और फिर अपनी बाइक ले कर कहीं चला गया।
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"यार विशाखा, तूने तो बोला था कि मेरा सिलेक्शन हो गया है इस जॉब के लिए, फिर इतना वेट क्यों करना पड़ रहा है?" - तृषा अपने साथ बैठी एक लड़की से बोली
"यार हो गया है सिलेक्शन तभी तो तुझे कॉल आया था ना और थोड़ा सब्र रख, अभी बुलाया जाएगा तुझे भी" - विशाखा ने तृषा से कहा लेकिन तृषा कहां सब्र रखने वालों में से है वह उठ कर वहीं वेटिंग रूम में टहलने लगी और बार-बार मोबाइल में टाइम भी देख रही थी।
कुछ देर बाद गेट खोल कर किसी ने उस का नाम पुकारा तो वहां एक नज़र विशाखा की तरफ देख कर वहां से चली गई और उस के जाने के बाद विशाखा ने जैसे राहत की सांस ली।
कुछ देर बाद तृषा वापस दौड़ती हुई विशाखा की तरफ आई और खुशी से उस के गले लगती हुई बोली - "थैंक यू सो मच यार विशाखा! मैं ना सच में बोर हो गई थी अपनी पिछली रिसेप्शनिस्ट वाली जॉब से, अच्छा हुआ जो तूने मेरी यहां जॉब लगवा दी, कितना कुछ सीखने और नया करने को मिलेगा ना मुझे यहां पर!" तृषा एक्साइटिड होती हुई बोली तो विशाखा उस के चेहरे की तरफ देख कर सिर्फ मुस्कुरा रही थी और थोड़ी देर बाद बोली - "आखिर एक दोस्त ही तो दोस्त के काम आता है तूने भी तो मेरी कितनी फाइनेंशली हेल्प की थी जब मुझे जरूरत थी, तो आखिर मैं कैसे तेरे काम ना आती यार! और थैंक्यू की कोई जरूरत नहीं है, बस पार्टी दे दियो।"
"अरे पार्टी तो पक्का, कंफर्म! बोल कहां चलना है?" - तृषा विशाखा के कंधे पर हाथ रख कर चलती हुई उस ऑफिस से बाहर आती हुई बोली
"फिलहाल आइसक्रीम खिला दे बाकी बाद में.." - विशाखा ने भी फरमाइश कर दी और फिर दोनों एक साथ ही आइसक्रीम खाने चली गई आइसक्रीम खाते हुए तृषा ने विशाखा से पूछा - "वैसे तू यहां कब से काम कर रही है यार?"
"पिछले 6 महीनों से, क्यों क्या हुआ तू ऐसे क्यों पूछ रही है?" - विशाखा अपनी आइसक्रीम खाना रोककर तृषा के चेहरे पर देखती हुई बोली
"कुछ नहीं यार बस ऐसे ही जनरली, आइसक्रीम पर ध्यान दे यार तू देख ना... सारी पिघल गई।" - तृषा विशाखा का ध्यान आइसक्रीम पर करती हुई बोली तो विशाखा उसकी ऐसी बात पर हंसने लगी!
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दूसरी तरफ मोहित दिन में, जब अपने फ्लैट से निकला तो थोड़ी दूर पर आगे जा कर, उस की बाइक रुक गई और फिर स्टार्ट ही नहीं हो रही थी, तो उस ने गुस्से में अपनी बाइक पर एक लात मारा जिस से बाइक का तो कोई नुकसान नहीं हुआ लेकिन उस के ही पैर में चोट लग गई; तो वह बड़बड़ाता हुआ बोला - "एक तो इतनी मुश्किल से इस आदमी का एड्रेस मिला जो सब से पहले मरा था और अब यह बाइक नखरे दिखा रही है, महारानी!" भुनभुनाते हुए मोहित ने मैकेनिक को फोन किया और फिर अपनी बाइक वहीं छोड़ कर ऑटो करने के थोड़ा आगे बढ़ा ही था कि एकदम अचानक ही एक ब्लैक लग्जरी कार उस के सामने आ कर रुकी, उस कार पर काले शीशे चढ़े हुए थे और अंदर कौन है यह बाहर से देखने पर तो बिल्कुल भी समझ नहीं आ रहा था लेकिन फिर वो ठिठक कर वहीं पर रुक गया।
क्रमशः
Pamela
03-Feb-2022 12:31 AM
Kafi achcha likhti hai aap
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